टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने कथित तौर पर रग्बी से प्रेरित एक नया फिटनेस टेस्ट ‘ब्रोंको टेस्ट’ शुरू किया है। पूर्व खिलाड़ी मनोज तिवारी ने इसे रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों को टीम से बाहर रखने की जानबूझकर की गई कोशिश बताया है, जबकि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व खिलाड़ी एबी डिविलियर्स ने इसे “सबसे खराब” टेस्ट में से एक बताया है।
रग्बी हालांकि क्रिकेट से कहीं ज्यादा जोरदार खेल है, लेकिन आज भारत में जितना क्रिकेट खेला जा रहा है, उसके लिए खिलाड़ियों को एक दशक पहले की तुलना में अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसलिए ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत हुई।
BCCI का नया ब्रोंको टेस्ट क्या है?
ब्रोंको टेस्ट में बिना किसी आराम के लगातार पांच शटल-रन सेट करने होते हैं, जिनमें 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दूरी तय करनी होती है, यानी कुल 1,200 मीटर। इसे और भी दिलचस्प बनाने के लिए, इस अभ्यास को छह मिनट के अंदर पूरा करना होगा।
एक खिलाड़ी बेसलाइन (0 मीटर) से शुरू करता है और शटल रन की सीरीज करता है, जिसमें शामिल हैं:
– 20 मीटर मार्कर तक दौड़ना और स्टार्टिंग पॉइंट पर वापस आना।
– 40 मीटर मार्कर तक दौड़ना और स्टार्टिंग पॉइंट पर वापस आना।
– 60 मीटर मार्कर तक दौड़ना और स्टार्टिंग पॉइंट पर वापस आना।
एक सेट पूरा होता है जब खिलाड़ी 60 मीटर मार्कर तक तीनों शटल रन पूरे कर लेता है। खिलाड़ी एक सेट में कुल 240 मीटर की दूरी तय करता है।
खिलाड़ी को 240 मीटर सर्किट के कुल 5 सेट पूरे करने होते हैं, जिससे कुल 1,200 मीटर की दूरी तय होती है। 5 सेट पूरे करने पर खिलाड़ी का समय नोट होता है।
यो-यो टेस्ट से ये कैसे अलग है?
ब्रोंको टेस्ट और यो-यो टेस्ट में सबसे बड़ा अंतर यह है कि ब्रोंको टेस्ट में निरंतर एरोबिक एंड्यूरेंस और स्टेमिना को मापा जाता है, जबकि यो-यो टेस्ट में रुक-रुक कर होने वाले एंड्यूरेंस को मापा जाता है। ब्रोंको टेस्ट में ऐसा कोई आराम का समय नहीं होता जबकि यो-यो टेस्ट में थोड़े समय के लिए आराम की अवधि होती है।