12 वनडे और तीन टी20 मैच में पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया है। हमने हमेशा देखा है कि क्रिकेटरों के संघर्षों पर उनकी चमक-दमक और ग्लैमर भारी पड़ जाती है। एक अच्छे फैमिली बैकग्राउंड से सभी क्रिकेटर नहीं आते।
सफलता पाने के लिए कई क्रिकेटरों को बहुत संघर्ष करना पड़ता है जिसका एक बड़ा उदाहरण मनोज तिवारी हैं। पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने हाल ही में अपने संघर्षों का खुलासा करते हुए अपने प्रशंसकों को भावुक कर दिया है।
मनोज तिवारी ने अपने स्ट्रगल को लेकर यह बयान दिया
हाल ही में Lallantop को दिए गए एक इंटरव्यू में मनोज तिवारी ने कहा कि टीम इंडिया से लंबे समय तक बाहर रहने के बाद उन्होंने समय से पहले संन्यास लेने का विचार किया था। उन्होंने परिवार से जुड़ी जिम्मेदारियों के चलते खेलना जारी रखा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वह जब युवा थे तब नट और बोल्ट फैक्ट्री में काम करने से पहले कोलकाता के एक रेस्टोरेंट में पूरी सब्जी बेचा करते थे।
“मैंने नट और बोल्ट की फैक्टरियों में काम किया। यह तब की बात है जब मैं करीब 14 साल का था। जब मैं अंडर-16 लेवल पर खेलता था तो मुझे प्रति मैच 1200 रुपये मिलते थे। इसलिए मैंने गणित लगाया और सुनिश्चित किया कि मैं क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करूं ताकि पैसे हमेशा आते रहें। मैं फैक्टरी से भाग गया। वहां बहुत ज्यादा काम होता था। फैक्टरी मालिक हमसे काम करवाता था।”
मनोज तिवारी ने एमएस धोनी के बारे में कहा
2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ चेन्नई में मनोज तिवारी ने अपना मेडन वनडे शतक जड़ा था लेकिन इस मैच के बाद उन्हें कई महीनों तक फिर से दोबारा मौका नहीं मिला। उस समय एमएस धोनी भारत के कप्तान थे और तिवारी ने कहा कि टीम सिर्फ और सिर्फ कैप्टन के प्लानिंग से ही चलती है।
“वह कप्तान थे। टीम इंडिया कप्तान की प्लानिंग के अनुसार चलती है। स्टेट टीमों में चीजें अलग होती हैं, लेकिन टीम इंडिया में सब कुछ कप्तान पर निर्भर करता है। अगर आप देखें, कपिल देव के समय में वह ही टीम चलाते थे, सुनील गावस्कर के कार्यकाल में यह उनका फैसला था, मोहम्मद अजहरुद्दीन के कार्यकाल में भी यही होता था। उसके बाद दादा और इसी तरह के अन्य लोग। यह तब तक चलता रहेगा जब तक कोई आकर कोई नियम नहीं बनाता।”