महान ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के बाद भारत के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने उनको लेकर बड़ा बयान दिया है और उनके पूरे करियर में उत्कृष्टता और विकास के लिए उनके अथक प्रयास की जमकर प्रशंसा की है। शास्त्री ने कहा कि वह समय के साथ विकसित होना चाहते थे और “नई तरकीबें” सीखना चाहते थे जिससे उन्हें महानता हासिल करने में मदद मिली।
गाबा टेस्ट के अंत में अश्विन ने अपने शानदार करियर को अलविदा कह दिया और भारत के सर्वश्रेष्ठ मैच विनर्स में से एक के रूप में एक समृद्ध विरासत छोड़ गए। खासकर टेस्ट क्रिकेट में अश्विन की जगह भरना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होने वाला है। साथ ही 62 वर्षीय शास्त्री ने आईसीसी रिव्यू के सबसे नवीनतम एपिसोड में मेजबान संजना गणेशन से बात करते हुए स्पिनर की विशिष्ट विशेषताओं पर चर्चा की।
रवि शास्त्री ने रविचंद्रन अश्विन की प्रशंसा की
रवि शास्त्री ने आईसीसी के हवाले से कहा, “मुझे लगता है कि मेरे लिए सबसे खास बात यह थी कि वह हर समय विकसित होने की चाह रखते थे।”“वह ऐसे व्यक्ति नहीं थे जो अपनी शुरुआत से ही संतुष्ट रहते थे,” उन्होंने कहा। यहां तक कि अपने करियर के अंतिम दौर में भी अश्विन अपने खेल को विकसित करने नई गेंदों पर काम करने और अपने एक्शन पर काम करने के लिए जाने जाते थे।
शास्त्री ने कहा, “वह नई तरकीबें सीखना चाहते थे।” उन्होंने इसे अपनाया, इस पर कड़ी मेहनत की और समय के साथ तालमेल बनाने के लिए नई चीजों की खोज करते रहे।”
साथ ही शास्त्री ने अश्विन और रवींद्र जडेजा के बीच स्पिन साझेदारी की भी प्रशंसा की, जिन्हें उन्होंने “असली स्पिन जुड़वा” कहा। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता आपसी सहयोग से हुई थी। शास्त्री ने कहा, “उन्होंने एक-दूसरे को अच्छी तरह से पूरक किया और प्रेरित किया।” जडेजा के कई विकेट पिछले पांच-छह वर्षों में अश्विन की वजह से आए हैं और इसके विपरीत भी।”