खिलाड़ियों के खेल के प्रति बदलती हुई प्रवृत्ति के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) कड़ा रुख अपनाने जा रहा है। आजकल खिलाड़ियों का सिर्फ कुछ मैचों और सीरीज को खेलना टीम के अनुशासन को भंग कर रहा है। बोर्ड ने कोच गौतम गंभीर और चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर के साथ मिलकर सभ्य संस्कृति का निर्माण करने का प्रयास किया है।
बीसीसीआई खिलाड़ियों के खेल के प्रति बदलती हुई प्रवृत्ति के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने जा रहा है
भारत में खिलाड़ियों का वर्कलोड नियंत्रित करना हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी विशिष्ट सीरीज से बाहर रहने लगे हैं, जो टीम में भेदभाव को जन्म देता है। मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ी ने इंग्लैंड दौरे में अपनी लगन और समर्पण दिखाया है। इससे बोर्ड का अनुमान है कि टीम के प्रत्येक सदस्य से अब अपेक्षाएं स्पष्ट होंगी।
गौतम गंभीर ने स्टार कल्चर का हमेशा विरोध किया है, क्योंकि वे टीम की सफलता को व्यक्तिगत इच्छाओं से ऊपर रखते हैं। इस बार भी मैनेजमेंट इस प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए उत्सुक है। बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मैनेजमेंट जल्द ही सभी सेंट्रली कॉन्ट्रैक्टेड खिलाड़ियों को बता देगा कि इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारतीय लेजेंड सुनील गावस्कर ने खिलाड़ियों के इस रवैये पर आलोचना की
भारतीय खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने खिलाड़ियों द्वारा वर्कलोड मैनेजमेंट के बहाने के जवाब में उनकी तुलना देश के सैनिकों से की जो कठिन परिस्थितियों में भी देश की सेवा करते हैं। जब जसप्रीत बुमराह ने वर्कलोड के चलते इंग्लैंड के खिलाफ अपना पांचवा टेस्ट मैच नहीं खेला, तो चर्चा और गर्म हो गई।
बोर्ड खिलाड़ियों की इन आदतों से नाखुश है, इसलिए उन्होंने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में फिटनेस और खेल विज्ञान की टीम का काम पुनः शुरू किया, ताकि खिलाड़ियों की असली फिटनेस से जुड़ी समस्याओं को हल कर सके।